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| 1 H.7 | GSA 24_24 | GSA 25_W 2 | S 8 | Nachl. Herder, Kapsel XXXII, Nr. 6 | GSA 96_4196 | GSA 6_2730 |
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aus dem Griechischem
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Einen wohlgeschnizten vollen Becher, hielt ich drückend in den beiden Händen
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Sog begierig süßen Wein vom Rande. Amor trat herein und fand mich sitzen.
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Und er lächelte bescheiden weise, als den Unverständigen bedauernd.
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[24]
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[174]
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"Freund ich kenn' ein schöneres Gefäße werth die ganze Seele drein zu senken,
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Was gelobst du, wenn ich es dir gönn, es mit andern Nektar dir erfülle?
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O wie freundlich hat er Wort gehalten, da er Lida dicht, mit sanfter Leitung,
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Mir dem lange Sehenden geeignet. Wenn ich deine lieben Hüften halte
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Und von deinen einzig' treuen Lippen lang bewährter Liebe bahlsam koste,
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Seelig sprech' ich dann zu meinen Geiste: nein ein solch Gefäß hat außer Amorn
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Nie ein Gott gebildet noch beseßen. Solche Formen treibet
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Mit den Sinnbegabten steinern Hämmern. Auf belaubten Hügeln mag Lyäus
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Durch die ält'sten klügsten seiner Faunen ausgesuchte Trauben keltern laßen
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Selbst geheimnißvoller Gährung vorstehe, solchen Trank verschaft ihm keine Sorgfalt.
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Edel sey der Mensch
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Hülfreich und gut
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Denn das allein
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Unterscheidet ihn
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Von allen Wesen
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Heil den Unbekannten
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Höheren Wesen
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Ihnen gleiche der Mensch
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Sein Beyspiel lehr uns
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Jene glauben.
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Denn unfühlbar
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Es leuchtet die Sonne
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Über Böse und Gute
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Und dem Verbrecher
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Glänzen wie dem Besten
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Der Mond und die Sterne.
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Wind und Ströme
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Donner und Hagel
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Rauschen ihren Weg
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Und ergreifen
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Vorübereilend
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Einen um den andern.
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Auch so das Glück
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Tappt unter die Menge
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Wählt bald des Knaben
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Lockige Unschuld
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Und bald den kahlen
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Schuldigen Scheitel.
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Nach ewigen ehrnen
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Grosen Gesetzen
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Müßen wir alle
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Unsers Daseyns
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Kreise vollenden.
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Nur allein der Mensch
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Vermag das unmögliche
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Er unterscheidet
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Wählet und richtet
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Er kann dem Augenblick
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Dauer verleihen.
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Er allein darf
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Dem guten lohnen
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Den Bösen strafen
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Heilen und retten
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Alles irrende schweifende
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Nützlich verbinden.
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Und wir verehren
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Als wären sie Menschen
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Thäten im Grosen
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Was der Beste im Kleinen
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Thut oder mögte.
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Der edle Mensch
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Sey hülfreich und gut
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Unermüdet schafft er
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Das nützliche, rechte
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Sey uns ein Vorbild
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Jener geahndeter Wesen.
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Entschuldigung
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Du verklagest das Weib, sie schwanke von einem zum andern,
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Tadle sie nicht, sie sucht einen beständigen Mann.
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nach dem Anakreon.
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| ⮟ | ||||||
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| ⮟ | ||||||
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Dir gehöret eigen alles
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Dir gehöret eigen alles
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Dir gehöret eigen alles
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Dir gehöret eigen alles
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Dir gehöret eigen alles
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Dir gehöret eigen alles
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| ⮟ | ||||||
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85
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| ⮟ | ||||||
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86
Alles was die Stunden bringen
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Alles was die Stunden bringen
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Alles
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Alles
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Alles was die Stunden bringen
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Alles was die Stunden bringen
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| ⮟ | ||||||
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87
Lebest unter
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Lebest unter
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Lebest unter
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Lebest unter
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Lebest unter
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Lebest unter
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| ⮟ | ||||||
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88
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| ⮟ | ||||||
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89
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| ⮟ | ||||||
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90
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| ⮟ | ||||||
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91
Ja dich lieben alle Musen
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Ja dich lieben alle Musen
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Ja dich lieben alle Musen
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Ja
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Ja dich lieben alle Musen
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Ja dich lieben alle Musen
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| ⮟ | ||||||
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92
[24]
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[174] |
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| ⮟ | ||||||
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93
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| ⮟ | ||||||
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94
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95
Dich ergreifet nie das Alter
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Dich ergreifet nie das Alter
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Dich ergreifet nie das Alter
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Dich ergreifet nie das Alter
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Dich ergreifet nie das Alter
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Dich ergreifet nie das Alter
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| ⮟ | ||||||
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96
[24] |
[174]
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97
Weise zarte
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Weise
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Weise
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Weise
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Weise zarte
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Weise
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| ⮟ | ||||||
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98
Ohne Fleisch und Blut
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Ohne Fleisch und Blut
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Ohne Fleisch und Blut
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Ohne Fleisch und Blut
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Ohne Fleisch und Blut
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Ohne Fleisch und Blut
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| ⮟ | ||||||
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99
Leidenlose
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Leidenlose
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Leidenlose
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Leidenlose
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Leidenlose
|
Leidenlose
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| ⮟ | ||||||
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100
Fast den Göttern zu vergleichen.
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Fast den Göttern zu vergleichen.
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Fast den Göttern zu vergleichen.
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Fast den Göttern zu vergleichen.
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Fast den Göttern zu vergleichen.
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Fast den Göttern zu vergleichen.
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